काश मेरा दिल
भी इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अंदर ही छुपा होता ॥
गुजरे दिनों की
यादों की कश्तियाँ
रोज लहराती इस पर ।
कितना प्रफुल्लित
होता ये दिल ,
और
पहले की तरह
आज भी जीना आसान होता ॥
काश ये दिल भी
इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अंदर ही छुपा होता ॥
मैं दूर से शांत लहरों की
मानिंद नजर आता ,
मुख मंडल पर ना
कोई भाव भंगिमा होती ।
गम में डूबा भी मुस्कराता नजर आता ॥
काश मेरा दिल
भी इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अन्दर ही छुपा होता ॥
भी इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अंदर ही छुपा होता ॥
गुजरे दिनों की
यादों की कश्तियाँ
रोज लहराती इस पर ।
कितना प्रफुल्लित
होता ये दिल ,
और
पहले की तरह
आज भी जीना आसान होता ॥
काश ये दिल भी
इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अंदर ही छुपा होता ॥
मैं दूर से शांत लहरों की
मानिंद नजर आता ,
मुख मंडल पर ना
कोई भाव भंगिमा होती ।
गम में डूबा भी मुस्कराता नजर आता ॥
काश मेरा दिल
भी इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अन्दर ही छुपा होता ॥
...और यह पढ़कर मेरा दिल कुछ पल के लिए समुंदर हो गया.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...और सच तो यह है की दिल समुन्द्र से भी गहरा होता है ...बहुत कुछ छुपा होताहै ..जिसे कोई निकाल भी नहीं सकता
ReplyDeleteकाश मेरा दिल
ReplyDeleteभी इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अंदर ही छुपा होता ॥
अजनबी जी ,
नज़्म तो अच्छी है .....
बस कुछेक टंकण की त्रुटियाँ हैं ठीक कर लें .....
यादों की कस्तियाँ
कश्तियाँ
आज भी जीना आसन होता ॥
आसान
हीर जी
ReplyDeleteध्यान केन्द्रित करने का सुक्रिया ....
और
संगीता दी ....
आप तो ........
मेरा हर शब्द कम है अगर मैं कुछ कहूँ
आप तो नजाने मुझे कहाँ तक पहुंचाएंगी ..!!
You are too good.
अजनबी जी ,
ReplyDeleteनज़्म तो अच्छी है .....
आज पहली बार आना हुआ पर आना सफल हुआ बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
हर दुःख हर दर्द
ReplyDeleteअंदर ही छुपा होता ॥
मैं दूर से शांत लहरों की
भी इक समंदर होता ।
मुख मंडल पर ना
कोई भाव भंगिमा होती ।
गम में डूबा भी मुस्कराता नजर आता ॥
काश मेरा दिल
भी इक समंदर होता ।
uffff..behadd umda..hum to doob gaye aapke shabdon ke samander main.bahut khoob.
मानिंद नजर आता ,
ReplyDeleteye line miss ho gayi..sorry..:(
सुंदर अहसास है कविता में
ReplyDeleteआभार
भाई धरमजी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अहसासों से भरी कविता |