Thursday 20 December 2012

कोने की टेबल......



आज फिर 
उस कोने की टेबल पे
इक परछाई है .....
जा के 
छु भर लूं 
या समेट  लूं उसे 
अपने आँचल में 
मेरे हालात की 
ये कैसी रुशवाई है ...... 
या फिर 
छोड़ आऊं 
एक  पैमाना 
हर रोज  की तरह, 
और छू लूं 
उसके सांशों की  महक 
जो मुझ में समाई है ..... 
आज फिर 
उस कोने की टेबल पे
इक परछाई है ......अजनबी 

गलतफहमी ....

जब देखा
जुनून से
चाँद आसमान से
जमीं  पे 
सरक गया .....
जब चाहा  
मन में 
दरिया का भी 
मुख मोड़ दिया...... 
एक 
वो हैं कि 
खातें हैं शिकश्त  
जब भी
टकरातें  हैं 
उनसे ...
कर देतें है
खुद  को समर्पित 
उनके निगाहें करम पर 
महजबीं ....
और वो समझते हैं 
की मजबूर 
हमसा नहीं
दुनियां में कोई .......

Wednesday 24 October 2012

उफ़ ..

खामोश  समंदर  की लहरों में 
कुछ हलचल सी है 
मन में घुमड़ते विचारों में 
नयाँ तूफ़ान सा है 
क्यों नहीं असर होता मेरे  जज्बातों का 
 पत्थर दिल पर 
बेचैन मन में  बहुत  सवाल  हैं 
हर सांश लुटा दूँ मैं 
"अजनबी" एक इशारे पर 
मोम सा पिघल जायेगा यकीन नहीं होता

Tuesday 10 April 2012

तुम्हारा अहसास...



डर सा लगता है

तुम्हारे न होने के

अहसाश मात्र से ...

जाने कब से

बुझी

कुछ चिंगारियों ने

आज फिर

हवा ली है ...

मेरे आसियाने को

राख करने को

जबकि,

मुझे इंतजार था

उन यादों की

नम फुहार का

जो तुम्हारे आने पर

अक्सर दे जाती है

वो प्यार .

वो अपनापन

वो भीनी -भीनी सी

इत्र की खुसबू ...

मोगरे के फूलों से जुड़ा

वो प्यारा सा गजरा

वो कांच की

रंग विरंगी चूड़ियों की खनखनाहट

जो बरबस

मेरे कानों में गूंजती रहती है ...

जाने क्या क्या .....

Wednesday 4 April 2012

बसंत जब तुम आओगे ...

ये बात मेरी हसरत
दिल में न जाने कब से बैठी थी
 तुम आओगी
बन कर सत रंगी फुहार
 पहन कर हरियाली चुनर
 सज धज के फूलों से रंग विरंगी
 और मैं लगाऊंगा झूले बाग़ में
 हर साल की तरह
 निहारूंगा तुमे हर दम
 पुलकित हो जाएँगी सब कलियाँ
 पा कर तेरा मर्म स्पर्श
 गूँज उठेंगे भौंरे
 चहक उठेंगे सब पंछी गण
 गायेंगे सब कल-कल करते झरने
 तुमारा ही नाम सुनाई देगा
 फिजाओं में, वो पत्तों की सरसराहट में


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Sunday 25 March 2012

भाषा...


दिल का दर्द बयां करने को कोई भाषा जरूरी तो नहीं 
उल्फत में गम भुलाना कोई जरूरी तो नही 
हर शक्श परेसान है तेरी महफ़िल में ए अजनबी 
मंद रौशनी में झूट मुश्कराना जरूरी तो नहीं |

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Monday 26 September 2011

नम आँखें ...


आज इन आँखों में नमी सी है,
ख्याल किसका है, कमी किसकी है |

अक्श उभरता है मिटता है 
इन बोझिल पलकों में,
कुछ यकीन नहीं ये तशवीर किसकी है |

बंद आँखों से
इस  तरह डूबता हूँ
समंदर की गहराइयों में,
न मालूम  पड़ता है कि
दूर छितिज में तैरती वो नाव  किसकी है |

आज इन आँखों में नमी सी है,
ख्याल किसका है कमी किसकी है |

Wednesday 21 September 2011

आँख का तारा हूँ मैं.....


यूँ तो बर्षों गुजर गए
मुझको जमी पर लाये हुए
आँख का तारा हूँ मैं उनकी
पर वो रौशनी न कर सका ?

चूम के हर बार मेरे माथे को
मांगते हैं जो  दुआ
आज तक उनके लिए मैं
क्या कभी कुछ कर सका ?

आँख का तारा हूँ मैं उनकी
पर वो रौशनी न कर सका ?

हर फैसला मंजूर है
उनको मेरा आज तक
पर क्या सही और क्या गलत है
क्या कभी मैं जान सका ?

आँख का तारा हूँ मैं उनकी
पर वो रौशनी न कर सका ?

सोचता हूँ कर गुजर जाऊँ
कुछ ऐसा
खुद विखर जाऊँ ख़ुशी बन कर मैं उनकी राह में
आँख से ओझल
न हो सकूँ फिर
पहलू में उनकी मैं सिमट रह जाऊँ !

Monday 15 August 2011

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक सुभकामनाएँ..


रोम रोम में सुलग उठी है
आजादी की चिंगारी
जरूरत आन पड़ी है फिर से
मात्रभूमि को आज हमारी
प्राणों का बलिदान दे के
दी थी हमको खुशियाँ सारी
आज उसी को ख़तम कर चुके
देश के नेता भ्रष्टाचारी
माँ मुझको ये शक्ति देना
मिटा सकों ये दुविधा सारी
.............जय हिंद जय भारत

Tuesday 9 November 2010

तुम्हारे लिए ....



मैं रोज लिखता हूँ
नयें शब्द पिरोता हूँ
छंदों में ....
तुम्हारे लिए ....
उभर के मन से
तुम्हारी सूरत
कविता में समां जाती है
हर पंक्ति दोहराते ही
महसूस करता हूँ
तुम्हारे स्पर्श को
अपनी शांसों में ......
मैं रोज लिखता हूँ
तुम्हारे लिए ....
तुम्हारे लिए .........