तुम्हारे लिए ....
मैं रोज लिखता हूँ
नयें शब्द पिरोता हूँ
छंदों में ....
तुम्हारे लिए ....
उभर के मन से
तुम्हारी सूरत
कविता में समां जाती है
हर पंक्ति दोहराते ही
महसूस करता हूँ
तुम्हारे स्पर्श को
अपनी शांसों में ......
मैं रोज लिखता हूँ
तुम्हारे लिए ....
तुम्हारे लिए .........
bahut baddhiya... choo liya andar tak..
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteक्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.
ReplyDeleteहर पंक्ति दोहराते ही
ReplyDeleteमहसूस करता हूँ
तुम्हारे स्पर्श को
अपनी शांसों में ...
बहुत खूब .. इसी को प्रेमका एहसास कहते हैं .. लाजवाब रचना.
नव-वर्ष की शुभकामनाएँ आपको और आपके परिवार को भी
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