आज इन आँखों में नमी सी है,
ख्याल किसका है, कमी किसकी है |
अक्श उभरता है मिटता है
इन बोझिल पलकों में,
कुछ यकीन नहीं ये तशवीर किसकी है |
बंद आँखों से
इस तरह डूबता हूँ
समंदर की गहराइयों में,
न मालूम पड़ता है कि
दूर छितिज में तैरती वो नाव किसकी है |
आज इन आँखों में नमी सी है,
ख्याल किसका है कमी किसकी है |