ये बात मेरी हसरत
दिल में न जाने कब से बैठी थी
तुम आओगी
बन कर सत रंगी फुहार
पहन कर हरियाली चुनर
सज धज के फूलों से रंग विरंगी
और मैं लगाऊंगा झूले बाग़ में
हर साल की तरह
निहारूंगा तुमे हर दम
पुलकित हो जाएँगी सब कलियाँ
पा कर तेरा मर्म स्पर्श
गूँज उठेंगे भौंरे
चहक उठेंगे सब पंछी गण
गायेंगे सब कल-कल करते झरने
तुमारा ही नाम सुनाई देगा
फिजाओं में, वो पत्तों की सरसराहट में
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दिल में न जाने कब से बैठी थी
तुम आओगी
बन कर सत रंगी फुहार
पहन कर हरियाली चुनर
सज धज के फूलों से रंग विरंगी
और मैं लगाऊंगा झूले बाग़ में
हर साल की तरह
निहारूंगा तुमे हर दम
पुलकित हो जाएँगी सब कलियाँ
पा कर तेरा मर्म स्पर्श
गूँज उठेंगे भौंरे
चहक उठेंगे सब पंछी गण
गायेंगे सब कल-कल करते झरने
तुमारा ही नाम सुनाई देगा
फिजाओं में, वो पत्तों की सरसराहट में
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