जब देखा
जुनून से
चाँद आसमान से
जमीं पे
सरक गया .....
जब चाहा
मन में
दरिया का भी
मुख मोड़ दिया......
एक
वो हैं कि
खातें हैं शिकश्त
जब भी
टकरातें हैं
उनसे ...
कर देतें है
खुद को समर्पित
उनके निगाहें करम पर
महजबीं ....
और वो समझते हैं
की मजबूर
हमसा नहीं
दुनियां में कोई .......
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