कुछ भी कहूँ दी आप ने हमें भी अपने साथ पीछे विद्यार्थी जीवन में पहुंचा दिया ......
मैं ही नहीं हर कोई अगर एक बार भी अपने विद्यार्थी जीवन को याद करेगा ... तो मन ही मन मुस्कराएगा जरूर
पर आज के विध्यार्ती ऐसे नहीं है .....
वो समां ही नहीं रही बहारों में,
गुल भी गुल भी गुलसन भी दर किनार है,
कागज के फूलों से खुशबू लेने का चलन है अब ||
खूबसूरत अभिव्यक्ति
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