Monday 26 September 2011

नम आँखें ...


आज इन आँखों में नमी सी है,
ख्याल किसका है, कमी किसकी है |

अक्श उभरता है मिटता है 
इन बोझिल पलकों में,
कुछ यकीन नहीं ये तशवीर किसकी है |

बंद आँखों से
इस  तरह डूबता हूँ
समंदर की गहराइयों में,
न मालूम  पड़ता है कि
दूर छितिज में तैरती वो नाव  किसकी है |

आज इन आँखों में नमी सी है,
ख्याल किसका है कमी किसकी है |

Wednesday 21 September 2011

आँख का तारा हूँ मैं.....


यूँ तो बर्षों गुजर गए
मुझको जमी पर लाये हुए
आँख का तारा हूँ मैं उनकी
पर वो रौशनी न कर सका ?

चूम के हर बार मेरे माथे को
मांगते हैं जो  दुआ
आज तक उनके लिए मैं
क्या कभी कुछ कर सका ?

आँख का तारा हूँ मैं उनकी
पर वो रौशनी न कर सका ?

हर फैसला मंजूर है
उनको मेरा आज तक
पर क्या सही और क्या गलत है
क्या कभी मैं जान सका ?

आँख का तारा हूँ मैं उनकी
पर वो रौशनी न कर सका ?

सोचता हूँ कर गुजर जाऊँ
कुछ ऐसा
खुद विखर जाऊँ ख़ुशी बन कर मैं उनकी राह में
आँख से ओझल
न हो सकूँ फिर
पहलू में उनकी मैं सिमट रह जाऊँ !