Monday 16 August 2010

Rhythm of words...: हूक!

Rhythm of words...: हूक!
....किसी के हाथ लग जाये न
ये मन का खंजर
इस से बेहतर है कि
इसको 'कलम' बना देना ......
ये पंक्तियाँ मेरे जेहन से निकलती ही नहीं
पारुल जी
आपने क्या कुछ कहा डाला
इस रचना में
मेरे शब्द ...कम हैं व्यक्त करने को ...!!

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