Tuesday 17 August 2010

काश मेरा दिल.......



काश मेरा दिल
भी इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अंदर ही छुपा होता ॥
गुजरे दिनों की
यादों की कश्तियाँ
रोज लहराती इस पर ।
कितना प्रफुल्लित
होता ये दिल ,
और
पहले की तरह
आज भी जीना आसान होता ॥
काश ये दिल भी
इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अंदर ही छुपा होता ॥
मैं दूर से शांत लहरों की
मानिंद नजर आता ,
मुख मंडल पर ना
कोई भाव भंगिमा होती ।
गम में डूबा भी मुस्कराता नजर आता ॥
काश मेरा दिल
भी इक समंदर होता ।
हर दुःख हर दर्द
अन्दर ही छुपा होता ॥

10 comments:

  1. ...और यह पढ़कर मेरा दिल कुछ पल के लिए समुंदर हो गया.

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...और सच तो यह है की दिल समुन्द्र से भी गहरा होता है ...बहुत कुछ छुपा होताहै ..जिसे कोई निकाल भी नहीं सकता

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  3. काश मेरा दिल
    भी इक समंदर होता ।
    हर दुःख हर दर्द
    अंदर ही छुपा होता ॥

    अजनबी जी ,
    नज़्म तो अच्छी है .....
    बस कुछेक टंकण की त्रुटियाँ हैं ठीक कर लें .....

    यादों की कस्तियाँ
    कश्तियाँ
    आज भी जीना आसन होता ॥
    आसान

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  4. हीर जी
    ध्यान केन्द्रित करने का सुक्रिया ....
    और
    संगीता दी ....
    आप तो ........
    मेरा हर शब्द कम है अगर मैं कुछ कहूँ
    आप तो नजाने मुझे कहाँ तक पहुंचाएंगी ..!!
    You are too good.

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  5. अजनबी जी ,
    नज़्म तो अच्छी है .....

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  6. आज पहली बार आना हुआ पर आना सफल हुआ बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति
    बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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  7. हर दुःख हर दर्द

    अंदर ही छुपा होता ॥

    मैं दूर से शांत लहरों की

    भी इक समंदर होता ।

    मुख मंडल पर ना

    कोई भाव भंगिमा होती ।

    गम में डूबा भी मुस्कराता नजर आता ॥

    काश मेरा दिल

    भी इक समंदर होता ।
    uffff..behadd umda..hum to doob gaye aapke shabdon ke samander main.bahut khoob.

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  8. मानिंद नजर आता ,

    ye line miss ho gayi..sorry..:(

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  9. सुंदर अहसास है कविता में

    आभार

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  10. भाई धरमजी
    बहुत सुन्दर अहसासों से भरी कविता |

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