Thursday 12 August 2010

तेरा साथ ......

ओंस की बूंदों
की मानिंद
तेरा साथ पल भर
का मिला अच्छा लगा ....
तपती रेत में
हलकी बारिश हुई
अच्छा लगा ....
यूँ तो इस
दिल की प्यास
भुझाने में मेरे आंसू भी
नाकाम थे ....
तेरे अहसास से
ठंडक सी मिली
अच्छा लगा ...
गगन शुन्य में
तेरी चाह में
भटकूँ दर बदर
हर रोज ....
ओंस की बूंदों
की मानिंद
तेरा साथ पल भर
का मिला अच्छा लगा ....

6 comments:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति ...

    कृपया कमेंट्स की सेट्टिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ..टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ....
    isake liye layout men ja kar settings par jayen ..wahan comments ki setting par jayen aur usame se word verification hata den save karen ...

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी अभी नया नया ब्लॉग बनाया है तो जानकारी नहीं है कैसे ओपरेट करूँ अच्छा लगा आप ने और diii (सोभना जी ) ने मेरे लेखन को सहारा है और और टिपनियाँ तो एक नयी उर्जा देती है लिखने का उत्साह बढाती हैं

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  3. इंसान थोडा पाकर और अधिक पाने की चाह रखता है.
    इसी चाहत पर घूमती आपकी रचना अच्छी लगी.

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  4. sari rachnaye dekhi..
    sabhi ek se badhkar eka hai..........

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  5. मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  6. बहुत अच्‍छे भाव .. सुंदर प्रस्‍तुति !!

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